• भारत एक ग्राम प्रधान देश है। अतः गाँवों (ग्रामों) के विकास के बिना राष्ट्रीय विकास सम्भव नहीं है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल 640930 गाँव है।
• हमारे देश का विकास गाँवों के विकास से सीधे-सीधे जुड़ा हुआ है। वास्तव में गाँवों की खुशहाली में ही देश की खुशहाली निहित है।
• ग्राम विकास से आशय गाँवों की बुनियादी सुविधाओं का विकास, लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं ग्रामीण समाज की संरचना में आने वाले परिवर्तन आदि से होता है।
• भारत की लगभग 70% आबादी ग्रामीण है, जो भौतिक संरचना तथा जनसंख्या के आधार पर बँटी हुई है अर्थात् उनमें भिन्नता पाई जाती है।
• ग्रामीण समाज का आवास, रहन-सहन, खान-पान आदि भौतिक कारक तथा परम्परागत रीति-रिवाजों से प्रभावित होता है। ग्रामीण विकास जहाँ एक ओर कृषि, पशुपालन और कुटीर उद्योगों के विकास पर निर्भर है, वहीं इन
• कार्यों के लिए आधारभूत संसाधनों की उपलब्धता तथा ग्रामीण रोजगार भी जरूरी है, जिससे गाँवों की निर्धनता दूर होकर उनका कायाकल्प हो सके।
ग्राम एवं ग्रामीण समुदाय
• 'ग्राम' शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख वैदिक साहित्य में मिलता है, यहाँ के लोग मुख्य रूप से कृषि एवं पशुपालन जैसे कार्यों में संलग्न होते हैं।
• ग्राम के निवासी ग्रामीण समुदाय कहलाते हैं। सरल शब्दों में कह सकते हैं कि जिस समुदाय की अधिकांशतः आवश्यकताओं की पूर्ति कृषि या पशुपालन से हो जाती है, उसे ग्रामीण समाज या समुदाय के नाम से जाना जाता है। सेण्डरसन के अनुसार, "ग्रामीण समुदाय में स्थानीय क्षेत्र के लोगों की सामाजिक अन्तः क्रिया तथा उनकी संस्थाएँ शामिल होती हैं, जिसमें यह खेतों के चारों ओर फैले झोपड़ियों या पुरवा अथवा गाँवों में रहते हैं, जो उनके सामान्य क्रियाओं का केन्द्र भी होता है।”
• ग्राम को एक सामाजिक इकाई भी माना जाता है, क्योंकि प्रत्येक गाँव की सामाजिक पारिस्थितिकी दूसरे गाँवों से भिन्न होती है। रॉबर्ट रेडफील्ड नामक विद्वान ने ग्रामीण समुदाय को लघु समुदाय की संज्ञा दी है।'
• ग्रामीण समुदाय के बारे में लॉरी नेल्सन लिखते हैं, "कि अभी थोड़े समय पूर्व तक के मनुष्य की कहानी अधिकांशत: ग्रामीण मनुष्य की ही कहानी है।"
• ग्रामीण समुदाय का मुख्य व्यवसाय कृषि होने के कारण इन्हें खेतिहर समाज भी कहा जाता है।
इस अध्याय में...
•ग्राम एवं ग्रामीण समुदाय ग्रामीण विकास, परिवर्तन तथा समस्याएँ•ग्रामीण समुदाय का समाजशास्त्रीय महत्व•सामाजिक संरचना•नगर एवं नगरीकरण सामाजिक परिवर्तन ग्रामीण परिवार तथा नातेदारी•सामाजिक परिवर्तन के प्रतिमान•संयुक्त परिवार•संस्कृतीकरण पश्चिमीकरण•आधुनिकीकरण