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स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह - जानिए इनके बारे में विस्तार से

स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह

 

स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह - 

पंजाब राज्य के संगरूर जिले में मौजूद सुनाम गांव में उधम सिंह का जन्म हुआ था। उनके बचपन का नाम शेर सिंह था। उनके पिता का नाम सरदार टहल सिंह जम्मू और माता का नाम नारायण कौर था। उनके पिता उपाली गांव में रेलवे क्रॉसिंग में वॉचमैन का काम करते थे और किसान भी थे। उधम सिंह के बड़े भाई मुक्ता सिंह का देहांत सन् 1917 में हो गया था, स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह की जयंती हर साल 26 दिसंबर को मनाई जाती है। उधम सिंह को सभी धर्म और समान भावों का प्रतीक माना जाता है, इसलिए उन्होंने अपना नाम उधम सिंह से राम मोहम्मद सिंह आजाद रखा था, जो कि भारत के प्रमुख तीन धर्मों का प्रतीक माना जाता है। इस लेख के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह (who was the freedom fighter Udham Singh in Hindi) के विषय में जानकारी दी गई है।

स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह का विवरण:-



जन्म 26 दिसंबर 1899, सुनाम, पंजाब

 मृत्यु 31 जुलाई 1940,

(उम्र 40)

गदर पार्टी 

स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह (Freedom fighter Udham Singh in Hindi) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रांतिकारी थे, उधम सिंह जिस पार्टी से जुड़े थे उसका नाम गदर पार्टी था और इसका स्थापना वर्ष 1913 था। इसका मुख्यालय कैलिफोर्निया में स्थित था। इस पार्टी का उद्देश्य भारत से अंग्रेजों को भगाना था।

भगत सिंह के विचारों को मानने वाले :-

उधम सिंह, भगत सिंह को अपना गुरु मानते थे और उनको बहुत पसंद भी करते थे। उधम सिंह को उनका काम और उनके विचार बहुत अच्छे लगते थे। वर्ष 1935 में जब उधम सिंह कश्मीर गए थे तो उन्हें वहां पर भगत सिंह की प्रतिमा के साथ देखा गया था, कुछ समय कश्मीर में रहने के बाद उधम सिंह विदेश चले गए थे। स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह (Freedom Fighter Udham Singh Hindi me) को देश भक्ति वाले गाने गाना बहुत अच्छा लगता था, उधम सिंह भगत सिंह के साथ राम प्रसाद बिस्मिल को भी बहुत पसंद करते थे।

माइकल ओ ड्वायर की हत्या:-

उधम सिंह ने माइकल ओ ड्वायर की गोली मारकर हत्या की थी। 13 मार्च 1940 को लंदन के कॉक्सटन हॉल में रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की बैठक थी। इस बैठक में माइकल ओ ड्वायर भी उपस्थित था और उधम सिंह भी इस बैठक में पहुंच गए, उधम सिंह ने अपनी रिवाल्वर एक मोटी पुस्तक में छुपा ली। रिवाल्वर को पुस्तक में छिपाने के लिए उन्होंने पुस्तक के पेज को रिवाल्वर के आकार में काट दिया था, जिससे रिवाल्वर बिना किसी समस्या के हॉल के अंदर पहुंच जाए और मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने बैठक के बाद दीवार के पीछे से माइकल ओ ड्वायर पर गोलियां चला दी, जिसमें दो गोलियां माइकल ओ ड्वायर को लग गई थी, और तुरंत ही उसकी मृत्यु हो गई थी।

जलियांवाला हत्याकांड :-



13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड में बहुत सारे लोग मारे गए थे, इसमें मरने वाले लोगों में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की संख्या 1000 से अधिक थी और 1200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस हत्याकांड में उधम सिंह ने ओ ड्वायर की करतूतों को अपनी आंखों से देखा था, जिससे वीर उधम सिंह आक्रोश में आ गए थे। उधम सिंह सन् 1934 में लंदन पहुंच गए, और वहां जाकर उन्होंने यात्रा करने के लिए काम किया। वीर उधम सिंह इसके बाद बदले के लिए सही समय का इंतजार करने लगे और उन्हें 1940 में माइकल ओ ड्वायर से बदले का मौका मिला। 


उधम सिंह की गिरफ्तारी:-

माइकल ओ ड्वायर की हत्या करने पर उधम सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था और उन पर केस भी चला था और उधम सिंह को 4 जून 1940 को दोषी करार दिया गया था, उन्हें ब्रिक्सटन जेल भेज दिया गया था। उस जेल में उन्होंने कुल 36 दिनों तक भूख हड़ताल की थी, इस हड़ताल से उन्होंने हिंदू -सिख -मुस्लिम में एकता होने का प्रतीक दिया था।

उधम सिंह की मृत्यु कब हुई | When did freedom fighter Udham Singh died in Hindi

उधम सिंह को ओ ड्वायर की हत्या के जुर्म में फांसी की सजा मिली। उन्हें 31 जुलाई 1940 को पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई थी। उधम सिंह की अस्थियों को सन् 1974 में ब्रिटेन ने भारत भेज दिया था और उनके गांव सुनाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। इस तरह भारत की आजादी की लड़ाई के लिए सरदार उधम सिंह भारत के इतिहास में अमर हो गए, उन्होंने अंग्रेजों को उनके घर में घुसकर मारा और उन्हें देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे उनकी बहुत तारीफ हुई, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी उनकी तारीफ में कहा कि माइकल ओ ड्वायर की हत्या का बहुत अफसोस है परंतु उधम सिंह ने जो किया वह बहुत अच्छा था इस घटना ने लोगों के अंदर क्रांतिकारी की आग लगा दी थी।

उधम सिंह की प्रतिमा

उधम सिंह की प्रतिमा लगाने की मांग पिछले कई वर्षों से चल रही थी परंतु उनकी प्रतिमा नहीं बन पा रहा थी, जिसके बाद प्रेम सिंह चंदूमाजरा द्वारा जुलाई 2018 में उधम सिंह की प्रतिमा जलियांवाला बाग और संसद परिसर में लगाने की मांग की गई, उनकी इस मांग को संसद में प्रस्तुत किया गया।

वीर उधम सिंह की यह जीवन गाथा आंदोलनकारियों को प्रेरित करती है और इनके जीवन में घटी सभी घटनाएं लोगों को यह प्रेरणा देती हैं कि, हम सभी भारत देश के वासी है और हमें अपने भारत को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करनी चाहिए। उधम सिंह की मृत्यु के 7 साल के बाद अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा और हमारा देश भारत आजाद हो गया।



उधम सिंह एक अमर शहीद के रूप में जाने जाते हैं। अतः इस लेख के माध्यम से हम आपको स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह (who was the freedom fighter udham singh in hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं और इसके साथ ही गदर पार्टी और माइकल ओ ड्वायर की हत्या के बारे में जानकारी प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार GK के और आर्टिकल पढ़ने के लिए exam India से जुड़े रहें। अन्य परीक्षाओं के लिए नवीनतम जानकारी और अध्ययन सामग्री के साथ खुद को अपडेट रखने के लिए आप  हमारी  website पर जा  सकते हैं, जो परीक्षा की तैयारी के दौरान आपकी सहायता करेगा।

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